निधि एंड द सीक्रेट आइडेंटिटी भाग 5
वकार अहमद फिर बोला " यह सब इनकी चाल है.... सब मिले हुए हैं" और फिर विनम्र की तरफ देखने लगा "अगर यह इससे ना मिला होता तो अब तक इस पर गोली चला देता" और सीधे अपनी बातों से विनम्र को निधि पर गोली चलाने के लिए मजबूर करने लगा।
युसूफ और प्रधानमंत्री तथा बाकी के 2 आदमी, वह हाल फिलहाल में तो इस पूरे परिदृश्य को अपनी आंखों से देख रहे थे। वकार अहमद ने फिर अपनी बात पर जोर दिया "देखा!! इसने अभी तक गोली नहीं चलाई.... मतलब साफ है... यह उससे मिला हुआ है"
युसुफ को भी यह बात हैरान कर रही थी। उसने विनम्र को कहा "तुम आखिर गोली क्यों नहीं चलाते इस पर... गोली चलाओ और इसका काम तमाम कर दो"
सब लोग विनम्र को निधि पर गोली चलाने के लिए मजबूर करने लगे, निधि भी खामोशी से देख रही थी की विनम्र क्या करता है क्या नहीं.... उसका भी पिस्तौल वकार अहमद की तरफ था पर वह भी अपना कदम नहीं उठा रही थी। आसपास बढ़ते दबाव के कारण विनम्र ने पिस्तौल का ट्रिगर दबाया और निधि पर गोली चलाने की स्थिति में आ गया...अंदर से उसका दिल तेजी से धड़क रहा था पर बाहर के दवाब के आगे.... शायद दिल का धड़कना काम नहीं आ रहा था। निधि ने विनम्र की तरफ देखा और फिर एक गहरी सांस लेकर प्रधानमंत्री के अगल-बगल बैठे दोनों आदमियों पर गोली चला दी। निशाना सीधे उनके सर के बीचो-बीच लगा। युसूफ तुरंत सकते में आया और अपना रिवाल्वर निकालकर निधि की तरफ करने लगा.... पर बीच में ही विनम्र ने आते हुए...अपने पिस्तौल के पीछे वाले हिस्से से यूसुफ के सर पर वार कर दिया। चोट लगते ही युसुफ बेहोश हो गया। वकार अहमद भी लड़ने वाली स्थिति में आया और उसने वहां के एक आदमी की पिस्तौल निकालकर निधि पर तान दी पर जवाबी कार्यवाही में विनम्र और निधि दोनों का पिस्तौल उसकी तरफ था।
प्रधानमंत्री के तो होश ही ठिकाने नहीं थे। उसे तो पता भी नहीं लग रहा था वह आज बचेगा या नहीं..... उसके साथ वाले 2 आदमी मारे गए.... युसुफ भी बहोश हो गया। गाड़ियों का काफिला आगे बढ़ता जा रहा था पर प्रधानमंत्री की गाड़ी के अंदर क्या हो रहा है किसी को भी इस बात की भनक नहीं थी। प्रधानमंत्री ने उन सबके सामने अपना वायरलेस निकाला, पर उनकी हरकत करते ही निधि ने उस पर रिवाल्वर तान दी.... विनम्र ने तुरंत अपने हाथ से उसका रिवाल्वर हटाते हुए कहा "तुम इन्हें कुछ नहीं करोगी" यह सुनकर निधि ने अपनी रिवॉल्वर नीचे की और फिर विनम्र को बोला "ठीक है... लेकिन तुम इन्हें बोल दो कि इनकी वजह से हमें किसी तरह का खतरा नहीं होना चाहिए.." उसका ईशारा प्रधानमंत्री की तरफ था। विनम्र प्रधानमंत्री की तरफ देखने लगा। प्रधानमंत्री ने गर्दन हिलाकर हामी भरी और वायरलेस पर ड्राइवर के बगल बैठे आदमी से कहा "गाड़ियों का काफिला हमारी सीक्रेट लेब की तरफ ले लो..." और फिर वायरलेस नीचे रख दिया।
निधि ने एक गहरी सांस ली और सीट पर बैठ गई। विनम्र भी बैठ गया। प्रधानमंत्री और वकार अहमद दोनों खामोश थे। निधि विनम्र को देख कर बोली "अब आगे क्या...!!"
विनम्र ने पहले वकार अहमद की तरफ देखा और फिर प्रधानमंत्री की तरफ " मैं समझाने की कोशिश करता हूं" वह प्रधानमंत्री से बोले "सर मुझे माफ करना... लेकिन मैं देश से किसी तरह की गद्दारी नहीं कर रहा...." और फिर एक गहरी सांस लेकर कहा "आप जो भी कर रहे हैं वह सही नहीं है.....अगर हम दूसरे देशों पर हमला करेंगे तो चारों और अशांति फैल जाएगी। हजारों निर्दोष लोग मारे जाएंगे। जंग से आज तक ना किसी का फायदा हुआ है और ना ही आगे भविष्य में होगा। आप जगं के इस विचार को छोड़ दे....यह जो थंडर लाइस आप लेना चाहते हैं वह किसी भी तरह के हथियार से ज्यादा खतरनाक है .... ऐसे में इन्हें नष्ट करें और आगे शांति से देश के विकास के लिए काम करें"
"तुम चाहते हो प्रधानमंत्री तुम्हारे आगे झुक जाए" वकार अहमद बोला "क्या तुम प्रधानमंत्री को कंट्रोल करना चाहते हो....वह भी उन्हें ब्लैकमेल करके" निधि ने तुरंत अपना पिस्तौल उसकी तरफ किया और कहा "तुम चुप ही रहो तो अच्छा है.... वरना मैं तुम्हें बोलने लायक नहीं छोडूंगी"
फिर दोनों प्रधानमंत्री के बोलने का इंतजार करने लगे। लुइस इल्लल्लाह कुछ देर सोचने के बाद बोला "देखो तुम्हारा कहना सही है.... पर वर्तमान में जिस तरह के हालात हैं वह जंग की ओर ही इशारा कर रहे हैं.... इराक बॉर्डर पर अपनी सेना लेकर तैयार खड़ा है, वो भी हम पर हमला करने के लिए। अगर मैं जंग नहीं करूंगा तो वह कर देंगे। जंग तो होकर ही रहेगी.... मेरे चाहने या ना चाहने से कुछ नहीं होगा"
"आप उसकी फिक्र ना करें" निधि प्रधानमंत्री का जवाब सुनकर बोली। "हमारी इराक से अच्छी जान पहचान है, हम लोग इराक की सेना को पीछे हटने के लिए कह देंगे। और वह मना भी नहीं करेंगे...."
"ईराक ऐसा कभी नहीं करेगा...." प्रधानमंत्री लुइस इल्लल्लाह बोले। "वहां का शासन निरंकुश और दूसरे देशों पर अधिपत्य करने वाला है"
"लेकिन यह विचारधारा तो आप लोगों की है, इराक ने तो खुद हम लोगों से मदद मांगी है। वह चाहते हैं कि हम इराक के लोगों को आपकी तानाशाही रवैए से मुक्त करवाएं। आपकी वजह से वह एक कभी न खत्म होने वाली जंग की तरफ जा रहे हैं..."
"क्या!! " यह सुनते ही प्रधानमंत्री ने ऐसे रिएक्ट किया जैसे मानो उनकी सबसे कीमती चीज चोरी हो गई हो। "और यह बात तुम लोगों से किसने कही..." उसने तुरंत निधि से पूछा।
"खुद इराक के प्रधानमंत्री ने। वह हमारे देश दौरे पर आए थे तब उन्होंने कहा था कि हमें सीरिया से खतरा है" निधि ने लुईस को इराक के प्रधानमंत्री के दौरे वाली बात बताई।
"झूठ बोल रहे हैं वह लोग" प्रधानमंत्री बोले "ऐसा कुछ नहीं है...... वह लोग हमारे आतंक से पीड़ित नहीं.... बल्कि हम लोग उनके आतंक से पीड़ित हैं.... जंग हम नहीं बल्कि वह लोग चाहते हैं। उन्होंने तुम लोगों के साथ भी धोखा किया है.... मुझे तुम्हारे हाथों मरवाकर वह इस जंग को बिना लड़े ही जीतना चाहते हैं"
"क्या यह सच है...." निधि के हैरानी की कोई सीमा नहीं थी। यह तो कहानी में एक नया ही ट्विस्ट था जिसके बारे में किसी को नहीं पता था। " हमें तो लग रहा था सीरिया के प्रधानमंत्री के इरादे ठीक नहीं, पर यहां तो अलग ही खिचड़ी पक रही है" निधि ने विनम्र को कहा।
"हमारे प्रधानमंत्री गलत नहीं हो सकते..." विनम्र बोला "लगता है इराक वाले तुम लोगों के साथ डबल गेम खेल रहे हैं"
निधि ने विनम्र की पूरी बात सुनी और फिर थोड़ी देर सोचते हुए बोली "लेकिन अगर ऐसा है तो आपको इन थंडर लाइन्स की इतनी क्यों पड़ी है" उसने यह सवाल प्रधानमंत्री से पूछा।
"अरे मामूली सी बात है!! यह थंडर लाइंस कोई ऐसी वैसी चीज नहीं, सब देश इसके पीछे पड़े हैं...... अगर यह मेरे हाथ पहले आती है तो जाहिर है!! मैं इसका सबसे पहले उपयोग अपने देश पर आने वाले खतरों को कम करने के लिए करता। मेरे लिए इस वक्त इराक से बड़ा कोई खतरा नहीं, ऐसे में मैं इसका इस्तेमाल करके कोई गलती नहीं कर रहा"
विनम्र के साथ-साथ निधि भी दुविधा में फंस गई। सीरिया के प्रधानमंत्री अच्छे हैं या बुरे इस बात का फैसला ले पाना उसके लिए मुश्किल हो रहा था। लेकिन उसका काम प्रधानमंत्री ने आसान कर दिया। प्रधानमंत्री बोले " लेकिन मैं अब समझ चुका हूं, इस गलती को करके सिवाय नुकसान के और कुछ नहीं होगा। मैं जंग की राह त्याग कर अमन और शांति के रास्ते पर बढुगां..... अब जंग नहीं होगी। हम लोग इराक से बात करके आपसी मसला भी सुलझा लेंगे। भले ही जंग के इरादे उनके हो पर अगर शांति से बात करेंगे तो इन्हें भी टाला जा सकता है"
यह सुनकर निधि और विनम्र दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ गई। दोनों खुश थे, पर वकार अहमद के चेहरे पर खुशी नहीं थी। "यह आप क्या कह रहे हैं...!!" वह बोला "आपने तो कहा था आप इराक को खत्म कर देंगे"
"हां... लेकिन इन दोनों बच्चों ने मुझे समझा दिया है कि इस बात में कुछ नहीं पड़ा.... इसलिए अब ऐसा नहीं होगा"
यह बात उसे हजम नहीं हो रही थी, पर सिर्फ वही नहीं था जिसे यह बात हजम नहीं हो रही थी। उसके साथ साथ युसुफ को भी यह बात अच्छी नहीं लगी। युसुफ को बहुत पहले होश आ चुका था पर वह अभी भी बेहोश होने का नाटक कर रहा था। अचानक वह होश में आया और उसने तुरंत विनम्र के रिवाल्वर पर झपटा मारा.... मौके का फायदा उठाकर वकार अहमद की निधि पर टूट पड़ा। पूरा खेल बदल चुका था.... जो रिवाल्वर अब से कुछ देर पहले निधि और विनम्र के हाथ में था... वह अब वकार अहमद और युसुफ के हाथ में था। युसुफ बोला "तुम लोग क्या चाहते हो जो सपना में बचपन से देखता आ रहा हूं.... उसे छोड़ दूं। जिस मकसद के लिए मैं जीता आ रहा हूं उसे छोड़ दूं.... मैं इराक को बर्बाद होते देखना चाहता है.... और मैं किसी को भी इस रास्ते में नहीं आने दूंगा" फिर वह प्रधानमंत्री की तरफ मुड़ा "और आप!! आपको क्या हो गया है.... आप के इस मकसद की वजह से तो मैं आपका साथ दे रहा था....लेकिन अब जब इसे पूरा करने का वक्त आया तो आप बदल गए।"
लुइस बोला "देखो यूसुफ.... शांति और धैर्य से काम लो.... जंग से कभी किसी को फायदा नहीं होता"
"चुप रहो बेवड़े" उसकी यह बात युसुफ ने टोक दी "तुम तो क्या... तुम्हारा बाप भी इस जंग को होने से नहीं रोक सकता। यह उपदेश किसी और को देना...."
"यह कैसी भाषा का परिचय दे रही हो तुम" युसुफ की यह बात सुन कर लुइस को भी गुस्सा आ गया।
"चुप रहो!! तुम अब हमारे प्रधानमंत्री नहीं।" फिर उसने वायरलेस उठाया और ड्राइवर की सीट के बगल में बैठे आदमी को आदेश दिया "प्रधानमंत्री ने अपने इरादे बदल दिए हैं, वह अब लेब तो जाएंगे पर अकेले.... काफिले की बाकी की गाड़ियों को वापस लौट जाने का आदेश दे दो... खुफिया लैब में दूसरे आदमी भी अलाउड नहीं। सब खाली करवा दो"
उस आदमी ने यूसुफ की बात सुनी और दूसरी गाड़ियों को वापस लौट जाने का संकेत दे दिए। वैसे भी खुफिया लैब थी और यहां प्रधानमंत्री हमेशा अकेले आते थे,ऐसे में उसका इस बात पर भी शक नहीं गया कि प्रधानमंत्री खतरे में है।
जल्द ही पूरा काफिला वहां से निकल चुका था और अब सिर्फ प्रधानमंत्री की गाड़ी लैब की तरफ जा रही थी।
गाड़ी के अंदर निधि और विनम्र अगले कदम की तैयारी करने लगे पर अब उनके लिए सावधानी रखना ज्यादा जरूरी था। उनके साथ साथ सिरिया के प्रधानमंत्री की जान भी ख़तरे में थी। ऐसे में एक गलत कदम उनकी जान ले सकता था।
वकार अहमद और युसूफ दोनों की पिस्तौल निधि विनम्र और प्रधानमंत्री की तरफ थे। वह दोनों उन तीनों को लेकर लेब में जा रहे थे। अचानक रास्ते में एक मोड़ आया और गाड़ी तेजी से उस मोड़ पर मुडी... जिस वजह से उन दोनों की स्थिति डामाडोल हो गई। निधि और विनम्र दोनों ने इस बात का फायदा उठाया और उनका पिस्तौल पकड़ लिया। पर वह दोनों भी आगे से सावधान थे। उनकी पकड़ पिस्तौल से छुट्टी नहीं। अब एक एक पिस्तौल पर दो-दो लोगों के हाथ थें। एक तरफ विनम्र और वकार अहमद तो एक तरफ निधि और यूसुफ।
चारों में पिस्तौल को लेकर द्वंद चल रहा था, कब कौन से पिस्तौल की गोली किस पर चलेगी कुछ कहा नहीं जा सकता था। खतरा सभी को था, जान सबकी हवा में लटकी हुई थी। कोई भी निकलने वाली गोली का शिकार हो सकता था। निधि द्वारा पकड़े गए युसुफ के पिस्तौल की नली विनम्र की तरफ थी पर ट्रिगर पर निधि का कंट्रोल था। वही वकार अहमद के पिस्तौल की नली प्रधानमंत्री की तरफ थी पर वहां ट्रिगर पर कंट्रोल विनम्र के पास था। अचानक वकार अहमद ने गाड़ी का दरवाजा खोल दिया जिससे विनम्र एक झटके के साथ बाहर दरवाजे से जा लटका, विनम्र को नीचे गिरता देख निधि का ध्यान भी वकार अहमद से भटका जिसका फायदा उठाकर वकार अहमद ने निधि को धक्का दे दिया। निधि पूरी तरह से नीचे गिर गई। निधि नीचे गिर चुकी थी जबकि विनम्र पीछे लटका हुआ था। विनम्र के एक हाथ में यूसुफ की पिस्तौल थी और एक हाथ में गाड़ी का एक हिस्सा। जबकि वकार अहमद पूरी तरह से खाली था। वकार अहमद ने रिवाल्वर चलाने के लिए विनम्र पर तानी पर इससे पहले वह चलाता विनम्र ने गाड़ी छोड़ दी।
विनम्र और निधी दोनों गाड़ी से नीचे गिर गए। गाड़ी के अंदर वकार अहमद और युसूफ दोनों ने गाड़ी का दरवाजा बंद किया "अब किसी तरह का कोई खतरा नहीं था"यूसुफ ने प्रधानमंत्री की तरफ देखा "तुम्हारे साथ क्या करना है, यह तो हम लेब में ही जाकर सोचेंगे" और प्रधानमंत्री को लेकर अकेले ही लेब की तरफ चले गए। निधि और विनम्र दोनों धूल में गिरते हुए काफी पीछे रह चुके थे।
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16
सिक्रेट लेब, खुफिया एक्सपेरिमेंट, निधि और विनम्र का हमला
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वकार अहमद और यूसुफ सीक्रेट लैब में आ चुके थे। प्रधानमंत्री भी उनके साथ था। यूसुफ ने वहां की सिक्योरिटी पहले ही आदेश देकर कम करवा ली थी। गिनती के 6 से 7 ही सिक्योरिटी गार्ड वहां मौजूद थे। लैंब में आते ही वकार अहमद ने सभी दरवाजे बंद करवा दिए। प्रधानमंत्री को लेकर एक कमरे में गया और उन्हें वहां जाकर कुर्सी से बांध दिया। फिर उसने वायरलेस निकाला और साइंटिस्ट से कांटेक्ट किया। वह लोग जिस कमरे में थे उस कमरे में उनके सामने सीसीटीवी कैमरे की फोटोस थी जो लैब के आसपास के परिदृश्य दिखा रहे थे।
"मैं बोल रहा हूं, युसुफ!!" यूसुफ वायरलेंस पर बोला "तुमने हाल फिलहाल में कुछ नए एक्सपेरिमेंट किए हैं। यही वक्त है उनका परीक्षण करने का....इस एक्सपेरिमेंट को लेब के बाहर आजमाओ" दरअसल उसे इस बात की आशंका थी कि निधि और विनम्र अभी जिंदा है, वह लेब से भी ज्यादा दूर नहीं गिरे थे। ऐसे में वह लोग यहां जरूर आएंगे। इसलिए वह उनके आने से पहले ही पुख्ता प्रबंध कर रहा था।
"क्यों नहीं सर!!" साइंटिस्ट तालियां बजाने लगा "मुझे तो मजा आएगा...." और फिर भाग कर एक कंप्यूटर स्क्रीन की तरफ गया। वहां उसने कुछ बटन दबाएं और फिर स्क्रीन की तरफ देखने लगा।
कैमरे से लेंब के बाहर का एक दृश्य दिख रहा था जो दरवाजे के ठीक सामने का था। उस दृश्य में नीचे की जमीन उखड़ रही थी.... और उससे जमीन खोदने वाली ड्रिल मशीन जैसी कुछ आकृतियां निकल रही थी। यह एडवांस तकनीक के रोबोट थे जो जमीन के अंदर घुस कर कहीं भी आ जा सकते थे। इन्हें जंगी तौर पर बनाया गया था जिनका मकसद सामने से आ रहे टेंको को निष्प्रभावी करना था। यह खास टेक्निक के रोबोट जमीन के अंदर से सीधे टैंक के नीचे पहुंचकर उनके नीचे की सतह पर वार करते थे। टेकं की नीचे की सतह सबसे कमजोर होती है जिस कारण उसे आसानी से खत्म किया जा सकता है। टैंक को डैमेज करने वाली यह तकनीक जंग में कितनी खतरनाक हो सकती है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। वैसे भी आजकल की हालातों में बिना टैक के जंग जीतना किसी भी तरह से आसान नहीं। ज्यादातर हालातों में यह मशीनें जमीन के अंदर ही रहती है इसलिए इन्हें खत्म भी नहीं किया जा सकता।
बाहर इस तरह के 6 रोबोट का पहरा था। वह कभी जमीन में अंदर घुसते.... तो कभी बाहर आते। उनके नुकीले सिरे खतरनाक थे और किसी की भी जान ले सकते थे।
अपने ऑफिस के अंदर युसुफ ने वकार अहमद को सामने कुर्सी पर बिठाया।
"तुमने थंडर लायंस ढूंढ कर बहुत अच्छा काम किया है.... अब हम लोग अपने आसपास के देशों को झुका सकते हैं।" युसुफ ने कहा। "भले ही हमारे महामहिम बदल गए हो.... पर हम लोग नहीं बदलेंगे"
"आमीन, ऐसा ही होगा। आसपास के देश ही नहीं बल्कि दूसरे देश भी हमारे आगे झुकेंगे" वकार अहमद ने उसके सुर में सुर मिलाया।
"एक बार यह निधि और विनम्र का किस्सा खत्म हो जाए, फिर हम नए सिरे से जगं की तैयारी करेंगे। जग में सबसे पहले इराक को मजा चखाएंगे, और उसके बाद बाकी के देशों को" युसुफ बोलता जा रहा था। "सिरिया की राजनीति तो अब बदलेगी, आज से प्रधानमंत्री की गद्दी में संभाल लूंगा... और तुम्हें तोहफे में सीरिया के जनरल की गद्दी दूंगा"
वकार अहमद यह सुनकर खुश हो गया। "आप हमारा बहुत भला कर रहे हैैं...." उसने कहा।
"जिन लोगों को उनका देश भला नहीं करता, हम लोग उनकी अच्छी देखभाल करते हैं" युसूफ बोला " विनम्र को भी किसी बात की कमी नहीं आने दी थी... पता नहीं उसने हमसे दगाबाजी क्यों की"
"उस पर देशभक्ति का बुखार चढ़ गया, वह तो साला वैसे भी क**** है, मुझे तो शुरु से ही उस पर भरोसा नहीं था। वह एक ऐसे बिछु की तरह है जो अपने ही मालिक को डस लेता है।"
"सही कहा...!! लेकिन पता नहीं मैंने उसे परखने में देरी क्यों लगा दी" युसूफ अफसोस जताता हुआ केबिन में एक कुर्सी पर जाकर बैठ गया। दोनों को अभी भी निधि और विनम्र के आने का इंतजार था। "मैंने विनम्र की तरक्की में कोई कमी नहीं छोड़ी थी, हर काम उसे पहले देता था लेकिन इसके बावजूद....वो धोखेबाज निकला"
अचानक अपनी बात छोड़कर यूसुफ की नजरें स्क्रीन पर गढ़ गई। वकार अहमद भी उस तरफ देखने लगा। स्क्रीन में निधि और विनम्र दूर से उनकी ओर आते हुए दिखाई दे रहे थे।
"यह पूरी गड़बड़ तुम्हारी वजह से हुई है" विनम्र रास्ते में निधि को कह रहा था।
"अच्छा मेरी वजह से!!" निधि बोली "धोखा तो तुम्हारे लोगों ने दिया है"
"अरे तुम उनके मकसद के आड़े आ रही हो, वो लोग धोखा तो देंगे ही" विनम्र ने अपना तर्क रखा।
"इसे मकसद नहीं पागलपन कहते हैं, दुनिया का नियम है कि है जैसे चल रही है इसे चलने दो.... अगर तुम लोग इस पर कब्जा करने जाओगे तो यह कहां की समझदारी हैं"
"हां"निधि की बात के जवाब में विनम्र को बोलने के लिए कुछ नहीं सुझा "सही है लेकिन!! यह दो देशों के अपने अंदरूनी मसले हैं।"
"माना की ये दो देशों के अपने अंदरूनी मसले हैं, पर इनका प्रभाव आसपास के देशों पर भी पड़ेगा। यहां तीसरा विश्वयुद्ध छिड़ जाएगा तीसरा विश्वयुद्ध" निधि ने आखिर में अपनी बात पर जोर दिया।
विनम्र फिर खामोश था "तीसरे विश्वयुद्ध का तो पता नहीं, लेकिन अब प्रधानमंत्री की जान खतरे में है। उन्हें बचाना जरूरी है"
दोनों लैब के बाहर पहुंच चुके थे। लेकिन वहां पहुंचते ही उनके चलते हुए कदम रुक गए..... दोनों ने अपनी आंखों से वह दृश्य देखा जिसकी उन्होंने कभी कल्पना ही नहीं की थी।
"आखिर यह क्या चीज है....??" विनम्र ने उस दृश्य को देखकर कहा।
"मुझे भी समझ में नहीं आ रहा" निधि बोली। वह भी उस दृश्य को देख रही थी।
उनके सामने 6 एडवांस रोबोटिक्स ड्रिल मशीन थी, वह समुंदर में मछली की तरह जमीन के अंदर और बाहर आ जा रही थी।
"दरअसल मैं तुम्हें बताना भूल गया था" विनम्र बोला " इन लोगों ने एक पागल सा साइंटिस्ट हायर कर रखा है, यह सब उसी का काम लग रहा है"
"क्या!!" निधि चौंकी "मर गए!! कोई भी साइंटिस्ट कभी पागल नहीं होता, उसके यह एक्सपेरिमेंट हमारी...." निधि चुप हो गई।
"जो भी हो खतरा तो उठाना ही पड़ेगा" विनम्र अपने इर्द-गिर्द देखने लगा। अंदर जाने के दो रास्ते थे। एक सामने की तरफ और एक पीछे। जितनी भी ड्रिल मशीन थी वह सामने थी जबकि पीछे कोई ड्रिल मशीन नहीं थी। "मेरे पास एक आईडिया है" वह निधि से बोला। "यहां अंदर जाने के दो दरवाजे हैं। एक आगे की तरफ और एक पीछे की तरफ, मैं इन मशीनों का ध्यान भटकाता हूं.... तुम पीछे से अंदर जाओ"
निधि ने सहमति जताई और फिर वह दोनों अलग-अलग हो गए। वकार अहमद और युसूफ यह दृश्य अंदर से ही देख रहे थे। "आखिर यह लोग कर क्या रहे हैं" यूसुफ ने उन दोनों को अलग होते देख कहा
वकार अहमद ने एक शैतानी मुस्कान दी "अलग-अलग मरने की तैयारी" उसने कहा और दो तेज धार वाले खंजर निकाले और लेब के पीछे की तरफ मोर्चा संभालने के लिए चला गया।
लैब के सामने विनम्र मशीनों के साथ जूझने लगा और उनका ध्यान पूरी तरह से अपनी तरफ कर लिया। वहीं निधि लैब के बाएं हिस्से से घूमते हुए पीछे के दरवाजे पर पहुंच गई। वहां कोई भी सिक्योरिटी गार्ड नहीं था। निधि ने चारों तरफ देखा, जहां उसे कोई दिखाई नहीं दिया, और इसके बाद तेजी दिखाते हुए उस दरवाजे से अंदर चली गई।
"स्वागत है आपका महारानी" उसके अंदर आते ही सामने वकार अहमद ने उस पर तंज कसा। वह ठीक उसके सामने ही खड़ा था। तेज धार वाले खंजर उसके हाथों में थे।
निधि ने अपनी मूठियां भींची और होठ सख्त कर लिए। वह गुस्से से वकार अहमद को देख रही थी। "आज यह तुम्हारी जिंदगी का आखरी दिन है" निधि ने वकार अहमद को जवाब दिया।
यह सुनकर वकार अहमद जोर-जोर से हंसने लगा। "हा हा हा...... तुम्हें क्या लगता है, तुम जैसी छोटी सी लड़की मेरी जान लेगी" वह बोला और कुछ कदम पीछे हट गया।
"युद्ध में कोई भी छोटा बड़ा नहीं होता" निधि सामने से बोली और वह भी कुछ कदम पीछे हट गई।
इसके बाद वकार अहमद निधि की तरफ दौड़ने लगा, निधि भी वकार अहमद की तरफ दौड़ने लगी, जैसा ही दोनों एक-दूसरे के करीब आए वकार अहमद ने अपना खंजर हवा में लहराते हुए उसे निधी की तरफ बढ़ा दिया, लेकिन निधि तुरंत फिल्प मारते हुए नीचे से निकल गई। वकार अहमद का वार खाली चला गया। वह तेजी से पलटा और अपने पीछे गई निधि पर झपटा, निधि ने उसके खंजर वाले हाथ को अपने हाथ से रोक लिया फिर एक लात उसके पेट में सरका दी। वकार अहमद गिरते हुए कुछ कदम पीछे हो गया। निधि ने इस मौके का फायदा उठाया और तुरंत दोबारा ग्राउंड फ्लिप मारते हुए उसकी लात के नीचे वाले हिस्से पर वार किया। वकार अहमद नीचे गिर गया, पर वह फ्लिप मारते हुए खड़ा भी हो गया। उसने खंजर हवा में फैंका और दूर से ही निधि पर वार किया पर, निधि नीचे झुककर इस वार से बच गई। वकार अहमद की भौहें और बड़ी हो गई। अब उसके हाथ में सिर्फ एक खंजर था। दोनों में वापिस द्वंद होने लगा। वकार अहमद के पास खंजर था जबकि निधि के पास कोई हथियार नहीं था, वह वकार अहमद के हर एक हमले का डिफेंस कर रही थी। दोनों में hand-to-hand कॉम्बॉट हो रही थी। लेकिन बीच में ही निधि ने उशयारी दिखाई और उसके खंजर वाले हाथ को पकड़ कर घुमा दिया। वकार अहमद का वह खंजर भी नीचे गिर गया। निधि ने मौका ना छोड़ते हुए तुरंत उस हाथ को झटका दिया और अपने दूसरे हाथ की कोहनी सीधे उसके गले के नीचे वाले हड्डी पर मार दी। निधि का यह वार इतना खतरनाक था कि उसने उसके गले की हड्डी तोड़ दी। वकार अहमद की सास गले में ही अटक गई और वह चक्कर खाते हुए पीछे जा गिरा। लेकिन वह अभी मरा नहीं था, सिर्फ पीछे गिरा था। निधि ने उस पर ध्यान नहीं दिया और उसे ऐसे ही छोड़ कर वहां से चली गई। हालांकि निधि ने उसे इस काबिल कर दिया था कि वह अब दोबारा खड़ा ना हो पाए।
वकार अहमद को पीछे छोड़ने के बाद निधि बिल्डिंग में एक लंबे गलियारे के अंदर थी। इस लंबे गलियारे के अंत में एक लिफ्ट ऊपर की ओर जा रही थी और एक लिफ्ट नीचे की ओर। नीचे साइंटिस्ट की लैब थी जहां से वह अपने एक्सपेरिमेंट को कंट्रोल कर रहा था। निधि का टारगेट सबसे पहले वहां पहुंच कर उसे बंद करना था ताकि विनम्र भी अंदर आ सके। निधि लिफ्ट में गई और सीधे ग्राउंड फ्लोर पर पहुंची।
लिफ्ट खुलते ही उसके ठीक सामने साइंटिस्ट था, वह अभी भी अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर कुछ बटनों से खेल रहा था। इधर यूसुफ भी निधि का यह कारनामा स्क्रीन पर देख चुका था। सिक्योरिटी के रूप में उसके पास 6-7 गार्ड ही थे, उसने उनमें से दो गार्ड तुरंत साइंटिस्ट के बैकअप के लिए भेज दिए। पर वहां साइंटिस्ट अकेला नहीं था, उसके साथ वाली औरत भी वहीं थी।
साइंटिस्ट की लैब में घुसते ही औरत और निधि एक दूसरे के आमने सामने आ गए। औरतों में अपने हाथ हवा में फैलाए और खुद के मार्शल आर्ट स्पेशलिस्ट होने का दावा किया। निधि मुस्कुराई.... शायद इसलिए क्योंकि वह भी इसमें परफेक्ट थी। जल्द ही दोनों की टक्कर हो गई। निधि और वह औरत एक दूसरे से लड़ने लगे थे। औरत अपने दोनों हाथों और दोनों पैरों से काफी फुर्ती में वार कर रही थी, जबकि निधि भी उतनी ही तेजी से उसका जवाब दे रही थी। औरत ने घूमते हुए अपने हाथ को तेज गति दी पर निधि पीछे की और खिसकती हुइ इस से बच गई। औरत ने अपनी लात हवा में घुमाई और उसे निधि की चेस्ट पर मारा निधि उस लात का हल्का सा धक्का खाते हुए तुरंत संभली पर अगले ही पल उसने उसे लात को अपने हाथों में जकड़ लिया। इसके बाद उसने उस लात को पकड़कर घुमा दिया जिससे औरत सीधे नीचे गिर पड़ी। निधि तुरंत उस पर झपटी और उसकी गर्दन को अपनी भुजाओं में ले लिया। औरत का दम घुटने लगा, निधि ने थोड़ा सा जोर और लगाया और दम घोट कर उसे अचेत कर दिया।साइंटिस्ट को लड़ना नहीं आता था.... वह उस औरत की हालत देखकर तुरंत वहां से भाग गया। लैब पूरी तरह से खाली हो चुकी थी।
निधि तुरंत कंप्यूटर पर गई और देखा क्या टाइप करना है, लेकिन कुछ भी उसके पल्ले नहीं पड़ रहा था। वह नहीं जानती थी कि यहां से उन ड्रिल मशीन को कैसे कंट्रोल किया जाए। उसके दिमाग में कुछ नहीं सुझ रहा था... आखिर में उसका ध्यान लैब के सर्किट पर गया जहां से पूरी लैब और उसके उपकरण कंट्रोल हो रहे थे। इसके अलावा यहां के कैमरे और बाकी की चीजें भी इसी सर्किट से कंट्रोल हो रही थी। निधि उस सर्किट के पास गई और उस पूरे के पूरे सर्किट को उखाड़ दिया। सर्किट के उखाड़ते ही बाहर की ड्रिल मशीनों की गतिविधियां रुक गई। इसके साथ ही सीसीटीवी कैमरे भी बंद हो गए और यूसुफ को दिखने वाला दृश्य भी।
ड्रिल मशीन के तुरंत बंद होते ही विनम्र तेजी से सामने वाले दरवाजे से अंदर गया। उसने लिफ्ट के बटन दबाएं पर वह बंद थी। सर्किट उखाड़ने के कारण लैब के तमाम इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम भी ठप पड़ चुके थे इसलिए लिफ्ट भी काम नहीं कर रही थी। वह सीढ़ियों से चौथे फ्लोर की ओर जाने लगा लेकिन यूसुफ की सेफ्टी करने वाले 4 सिक्योरिटी गार्डो ने उसका रास्ता रोक लिया। निधि भी लैब का सारा काम निपटा कर सीढ़ियों से चौथे फ्लोर की ओर आ रही थी पर जो दो सिक्योरिटी गार्ड यूसुफ ने भेजे थे वह निधि के सामने आ खड़े हुए।
विनम्र उन चारों सिक्योरिटी गार्डों का सामना करने लगा और निधि उन दोनों सिक्योरिटी गार्ड्स का। दोनों का मुकाबला सीढ़ियों पर था।
विनम्र तेजी से पहले सिक्योरिटी गार्ड पर झपटा और उसके पेट पर पंच मारा, फिर वह दूसरे सिक्योरिटी गार्ड की तरफ गया और उसकी गर्दन पर वार किया इसके बाद तीसरे सिक्योरिटी गार्ड के जांघ पर और चौथे सिक्योरिटी गार्ड की चेस्ट पर। फिर वह पलट कर वापिस पहले गार्ड पर आया और उसकी गर्दन पर वार किया, फिर दूसरे सिक्योरिटी गार्ड की जांघ पर, तीसरे सिक्योरिटी गार्ड की चेस्ट पर और चौथे सिक्योरिटी गार्ड के पेट पर। ऐसा उसने चार से पांच बार दोहराया जिसके बाद चारों सिक्योरिटी गार्ड वही चीत पड़ गए।
निधि दोनों सिक्योरिटी गार्डों से एक पाइप के जरिए लड़ रही थी, उसने वह पाइप पहले सिक्योरिटी गार्ड की जांघ पर मारी और दूसरे सिक्योरिटी गार्ड के गर्दन पर, फिर वापस इसे दोहराते हुए पाइप पहले सिक्योरिटी गार्ड की गर्दन पर मारी और फिर दूसरी सिक्योरिटी गार्ड की जांघ पर। उसके हमलों में काफी तेजी थी। जल्द ही उनका काम तमाम करने के बाद निधि भी चौथे फ्लोर की ओर जा रही थी।
चौथे फ्लोर पर युसूफ अकेला था प्रधानमंत्री के साथ। जैसे ही विनम्र वहां पहुंचा वह तेजी से प्रधानमंत्री के पास गया और अपना रिवाल्वर उनके सर पर तान दिया। " देखो अगर पास आने की कोशिश की तो मैं प्रधानमंत्री को मार दूंगा" उसने विनम्र को धमकी देने वाले अंदाज में कहा। विनम्र यह सुनकर रुक गया। इतने में निधी भी वहां आ गई। दोनों प्रधानमंत्री की जान पर बनता देख किसी भी तरह का वार नहीं कर रहे थे। युसुफ बोला "भले ही खेल मेरे हाथ से निकल चुका है, लेकिन मैं इसे तुम दोनों के हाथ नहीं लगने दूंगा। प्रधानमंत्री को खत्म कर मैं पूरा पासा ही पलट दूंगा। इनके मरने के बाद आवाम में विद्रोह मच जाएगा और वह जंग की मांग करने लगेंगे" इतना कहकर वह शैतानी हंसी हंसने लगा। "जगं तो होकर रहेगी ही.... इसे कोई नहीं रोक सकता"
निधि ने देखा कि युसुफ का ध्यान उसकी तरफ न होकर विनम्र की तरफ था। वह जो भी कह रहा था सिर्फ उसे कह रहा था। निधि ने चुपके से अपने कमर के पीछे वाले हिस्से में हाथ डाला और वहां से एक छोटा नुकीला खंजर हाथ में पकड़ लिया, फिर उसे हवा में फेंक कर सीधे युसुफ के सर के बीचो बीच मार दिया। खंजर माथे के बीच वाले हिस्से पर जा लगा और वकार अहमद पीछे की और लड़खड़ाते हुए सीधे कांच का शीशा तोड़कर नीचे गिर गया।
"मुझे धमकीं पसंद नहीं" यूसुफ को खिड़की से नीचे गिराने के बाद निधि बोली। यह सुनकर विनम्र निधि को देखने लगा। काफी देर तक देखने के बाद वह मुस्कुरा दिया।
दोनों ने फिर ज्यादा देरी ना करते हुए प्रधानमंत्री को खोलो और उन्हें रसिया के बंधन से आजाद किया।
"इंशा अल्लाह.... तुम लोगों का शुक्रिया अदा मैं जिंदगी भर नहीं कर सकता.... मैं नहीं जानता मैं तुम लोगों का एहसान कैसे चुकाऊंगा"प्रधानमंत्री ने निधि और विनम्र दोनों को बोला।
"ऐसा कहकर आप हमें लज्जित ना करें" निधि बोली
फिर विनम्र बोला "आपकी जान बचाना हमारा फर्ज था"
प्रधानमंत्री ने वायरलेस निकाला और अपने सिक्योरिटी सिस्टम से कांटेक्ट किया। जल्द ही वहां पुलिस आ गई और उन्होंने वकार अहमद को पकड़ लिया। वह अभी भी जिंदा था। बाकी के सारे हालात अब उनके कंट्रोल मे थें।
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इस पूरे मसले में हालात कई बार बिगड़े और कई बार सुलझे। निधि ने प्रधानमंत्री के 2 खास लोगों को मार दिया पर लुइस इल्लल्लाह की जान बचाने के कारण उसे माफ कर दिया गया। निधि के इरादे प्रधानमंत्री को मारने के थे पर विनम्र और उसके काम को देखते हुए निधि ने हालातों को धैर्य का परिचय देते हुए बातों से सुलझाया। जंग में किसी का फायदा नहीं, यह बात प्रधानमंत्री लुइस इल्लल्लाह की समझ में आ गई। वकार अहमद को गद्दारी करने के कारण उस पर आंतकवाद का मामला डालकर उसे फांसी की सजा दे दी गई।साइंटिस्ट भाग चुका था जिसका बाद में कोई अता पता नहीं चला।
प्रधानमंत्री ने उसी रात 12:00 बजे अपने जनता को संबोधित करते हुए एक नया भाषण दिया।
"मेरे प्यारे भाइयों और बहनों!! मुझे अति खुशी हो रही है कि मैं इस वक्त....आप लोगों को एक सुखद समाचार देने के लिए यहां उपस्थित हूं। जंग में कभी किसी का फायदा नहीं हुआ....। इसमें सिर्फ और सिर्फ 2 देशों की आवाम और जान मान की ही हानी हुई है। पता नहीं कितने हजारों लाखों बेगुनाह और निर्दोष लोग मारे जाते हैं। जंग तो दो सरकारों और दो देशों की होती है जबकि उनका शिकार उनकी आवाम होती है। जंग करके ना ही तो सिकंदर को कुछ मिला और ना ही हिटलर को.....इसलिए मैं घोषणा करता हूं कि सीरिया देश आज से जगं की राह पर नहीं बढ़ेगा.... वह शांति और प्यार की सद्भावना से आपसी देशों से संबंध बनाएगा और पूरे विश्व में अमन कायम करेगा। इसके अलावा सीरिया देश में लोकतंत्र दोबारा लागू होगा.... जल्दी एक सुनियोजित समय देखकर सीरिया में इलेक्शन करवाए जाएंगे और अब आप की सहमति से नया नेता चुना जाएगा। इंशा अल्लाह..... हम पर कृपा बनाए रखें"
प्रधानमंत्री का यह भाषण सुनकर वहां की पूरी जनता में एक नई भावना जाग गई। वह जिस तानाशाही शासक को अपने लिए अभिशाप मानती थी वह उनके गुणगान करने लगी। शायद इसीलिए लुइस इल्लल्लाह को इस पूरे घटनाक्रम में किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ और उसन शांति और अमन का रास्ता चुना।
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ठीक 2 दिन बाद।
निधि और विनम्र दोनों सीरिया की राजधानी के एयरपोर्ट पर खड़े थे। उनके साथ प्रधानमंत्री लुइस इल्लल्लाह और उनका सिक्योरिटी सिस्टम भी था। वह लोग निधि को इंडिया के लिए विदा करने आए थे।
सभी लोगों से कुछ दूर निधि और विनम्र अकेले खड़े थे। निधि के हाथ में एक जैकेट थी जो उसने अपनी नीली टी-शर्ट के ऊपर पहन रखी थी।"दुनिया में हमेशा अजीब चीजें होती रहती है, जरूरी नहीं सब बुरे के लिए हो" निधि ने यह बात विनम्र को कही।
"लेकिन एक बार जब हालात बदल जाते हैं तो वह वापस सही नहीं होती" विनम्र ने जवाब दिया।
"तुम आखिर मानते क्यों नहीं" निधि बोली "तुम वापस इंडिया क्यों नहीं चलते..."
"नहीं जा सकता!!" विनम्र मुस्कुरा कर बोला। "अब यही मेरी दुनिया है"
निधि ने एक लंबी सांस बाहर छोड़ी और मुस्कुरा कर कहा "मैं तुम्हें नहीं समझा सकती... यह तुम्हारा फैसला है... पर अगर तुम आओगे तो वहां कोई भी तुम्हें नजरअंदाज नहीं करेगा" फिर उसने एक और लंबी सांस ली और विनम्र को चूम लिया।
पीछे प्रधानमंत्री के साथ साथ सब लोग इस दृश्य को देख रहे थे। निधि ने विनम्र को चुम्मा और अपनी जैकेट कंधे पर टांग कर जहाज की तरफ जाने लगी। पीछे से प्रधानमंत्री विनम्र के पास आया और उसके कंधे पर हाथ रखा "शायद वह तुम्हें चाहती है....."
"हां जानता हूं" विनम्र एक दोहरी मुस्कान के साथ निधि को जाता हुआ देख रहा था।"लेकिन वह चाहती है कि मैं उसके साथ वापिस इंडिया चलूं"
"बरखुरदर!!!" प्रधानमंत्री ने उसकी तरफ अजीब सी नजरे बनाई "तो तुम जाते क्यों नहीं... वह तुम्हारा अपना देश है"
विनम्र ने हैरानी से लुईस की तरफ देखा "अगर मैं चला गया हूं यहां आप की हिफाजत कौन करेगा"
प्रधानमंत्री अपने आसपास देखने लगे "तुम्हें क्या लगता है यह सिक्योरिटी सिस्टम यहां सिर्फ मुगफली बेचने के लिए है" उन्होंने विनम्र के साथ एक हल्का सा मजाक किया। "तुम अपने देश जा सकते हो.... मेरी तरफ से तुम्हें कोई रोक-टोक नहीं"
विनम्र ने एक गहरी सांस ली और गर्दन ना के अंदाज में हिलाते हुए कहा "शायद नहीं!! अब बहुत देर हो चुकी है" और फिर अपने कदम खींच कर अपनी जीप की तरफ जाने लगा।
प्रधानमंत्री बोले "बेटा!! अभी तक तो देरी हुई नहीं है.... पर अगर अभी भी नहीं संभले तो जरूर देरी हो जाएगी। वह अच्छी लड़की है......"
विनम्र के जीप की तरफ जाते कदम रुक गए "आप मुझे दुविधा में डाल रहे हैं" उसने मुड़कर प्रधानमंत्री को कहा।
"मैं तुम्हें दुविधा में नहीं डाल रहा.... बल्कि दुविधा से निकाल रहा हूं" प्रधानमंत्री उसके करीब आए और विनम्र की आंखों में आंखें डालकर कहां " अक्सर इंसान तभी दुविधा में होता है जब वह फैसला नहीं कर पाता.... तुम फैसला करो...." फिर वापस निधि की तरफ देखने लगे "उसके और तुम्हारे बीच सिर्फ 15 मीटर की दूरी है... यह 15 मीटर तुम्हारे आने वाली जिंदगी डिसाइड करेंगे। अगर तुम आज उसे अकेले जाने देते हो तो शायद आने वाले समय में तुम्हारी लाइफ ऐसे ही चलती रहेगी जैसे चलती आ रही है..... पर अगर तुम उसका साथ देते हो तो तुम्हारे साथ साथ उसकी लाइफ भी बदल जाएगी....!!" फिर उन्होंने भी अपने कदम पीछे खींचे और वहां से जाकर गाड़ी में बैठते हुए बोले "तुम सिर्फ फैसला करो" और गाड़ी में बैठकर वहां से निकल गए
उस पूरे क्षेत्र में अब विनम्र अकेला बचा था। उसके सामने जहाज था जो निधि को लेकर इंडिया जाएगा वह भी सिर्फ और सिर्फ 15 मीटर की दूरी पर। विनम्र ने एक गहरी... अत्यंत ही गहरी सांस ली और अपनी आंखें बंद की। वह समंदर की गहराइयों को महसूस करते हुए उसमें डुब रहा था..... जिसके एक छोर पर उसकी वर्तमान जिंदगी थी और एक छोर पर निधि। निधि अपना हाथ देकर उसे सहारा देने की कोशिश कर रही थी जबकि उसकी वर्तमान जिंदगी में कोई भी नहीं था जो उसे डूबने से बचाने के लिए अपना हाथ आगे करें। विनम्र ने अपनी आंखें खोली और अतत: उस 15 मीटर की दूरी पर चलने का निर्णय ले लिया। जब निधि ने जहाज पर चढ़कर पीछे मुड़कर देखा..... दृश्य बदल चुका था...... विनम्र भी उसी और आ रहा था।
😀😀😀HAPPY ENDING 😀😀😀
इंडिया में।
एकेडमी का ऑफिस।
ऑफिस में कैप्टन रोड जो कि निधि के अंकल से, उसके सामने निधि और विनम्र दोनों खड़े थे।
कैप्टन रोड उन दोनों से बोले"मुझे खबर मिल गई थी की इराक के प्रधानमंत्री ने हमारे साथ धोखा किया है। यह सूचना सरकार को भेज दी है। जल्दी वह इस पर कार्यवाही करेंगे। एजैंसी के साथ धोखा करने वाले लोग पकड़े जा चुके हैं, और उन्हें सजा भी मिल गई। तुमने अच्छा काम किया है'निधि " वह आगे आए और उन्होंने निधि के कंधे पर हाथ रखा "आई एम प्राउड ऑन यू"
फिर वह विनम्र की तरफ मुड़े "तुम्हारी काबिलियत, काफी बेहतर है। मैं उम्मीद करता हूं आने वाले समय में तुम हमारा साथ नहीं छोड़ोगे। किसी भी तरह की ऐसी कोई गलती नहीं करोगे जिसे हमें इस बात पर पछतावा हो कि मैं तुम्हें एजेंसी में दोबारा जगह दे रहा हूं। तुमने एजैंसी के साथ की जो किया वह माफ करने लायक नहीं.... तुमने हमारी दो बेशकीमती एजेंट को खत्म किया है.... इसलिए तुम पर कार्यवाही तो होगी, पर सख्ती नहीं बरती जाएगी। एकेडमी के नियमों के तहत तुम्हें 3 साल की नजरबंद रहने की सजा दी जाती हैं। तुम अगले 3 साल तक एकेडमी के एजेंट तो रहोगे पर उसका कोई भी काम तुम्हें नहीं मिलेगा। 3 साल तक तुम गोवा के जंगल में रहकर वहां की साफ-सफाई का काम करोगे। जब तुम्हारी सजा खत्म हो जाएगी तब तुम्हारा शानदार स्वागत इस एकेडमी में किया जाएगा"
आज की मीटिंग यहीं खत्म होती है। कैप्टन रोड वहां से निकल गए। विनम्र निधि को घूरने लगा "यह है तुम्हारा इंडिया"
निधि मुस्कुराई "शुक्र मनाओ जेल में नहीं डाला.... वैसे भी 3 साल तो है.... आंख बंद करते ही निकल जाएंगे"
"अच्छा बेटा.... मुझसे उशियारी..... मैं भी देखता हूं ऐसा कौन सा जंगल है जो मुझे बाधं कर रखता है" उसने कहा और निधि के पीछे भाग पड़ा। निधि भी वहां से आगे की तरफ भाग पड़ी।
*******THE FINAL HAPPY ENDING******
Abhinav ji
14-Jul-2022 09:21 AM
Very nice
Reply
Fauzi kashaf
02-Dec-2021 11:49 AM
Good
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Zaifi khan
30-Nov-2021 07:34 PM
Good
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